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Tuesday, June 30, 2020
आईसीयू के काेराेना मरीजों को लगने वाला हेपरिन इंजेक्शन 50% महंगा, केंद्र सरकार ने लिया फैसला
बालकृष्ण ने कहा- हमने काेराेना की दवा बनाने का दावा नहीं किया; नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा
बैंकों में मिनिमम बैलेंस नहीं रखा तो चार्ज लगेगा; रेलवे में वेटिंग टिकट नहीं मिलेगा, अब तत्काल टिकट पर भी रिफंड
अतनु की हुईं दीपिका; दाे तीरंदाजों का अब एक निशाना, लद्दाख के इतिहास में पहली बार बिना भागीदारी के मनाया गया हेमिस फेस्टिवल
भारत सरकार ने बैन लगाया 59 चीनी ऐप्स पर, लेकिन बात हो रही सिर्फ एक ऐप टिक टॉक की
डोनाल्ड ट्रम्प ने मर्केल को बेवकूफ और थेरेसा मे को कमजोर बताया; पूर्व राष्ट्रपति बुश, ओबामा का अपमान किया: रिपोर्ट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प विदेश के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत के लिए तैयारी नहीं करते, इसके अलावा खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार ब्रीफिंग नहीं पढ़ते। विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के ऐसे फोन भी सुन लेते हैं, जिनकी पहले से कोई सूचना नहीं होती। उन्होंने ऐसा करके कई बार सुरक्षा सलाहकारों को सकते में डाल दिया। यह दावा वाटरगेट कांड के पत्रकार कार्ल बर्नस्टीन ने किया है।
उन्होंने सूत्रों से बातचीत करके ट्रम्प के विदेशी नेताओं के साथ सैकड़ों निजी फोन कॉल की डिटेल्स पता करके सीएनएन के लिए रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक ट्रम्प फोन पर अपनी उपलब्धियों और समृद्धि का बखान करते रहते हैं और भ्रमित रहते हैं इससे कई बार राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ चुकी है।
जर्मन चांसलर मर्केल को बेवकूफ कहा था: रिपोर्ट
महिला नेताओं का अपमान ट्रम्प करते ही रहते हैं, इसी कड़ी में उन्होंने जर्मन चांसलर मर्केल को बेवकूफ कहा, और उन्हें रूस का अनुयायी बता दिया। वहीं ब्रेग्जिट पर थेरेसा मे को कमजोर बताया। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को ईरान और जलवायु मुद्दे पर मन न बदलने के लिए लताड़ लगाई।
पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से बातचीत में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और ओबामा को जमकर कोसा, अपमानजनक बातें कही। साथ ही कहा कि सभी मुद्दों पर सीधे मुझसे बात करें। एर्दोगन ने ट्रम्प की मध्य-पूर्व पर कम जानकारी का फायदा उठाया। सऊदी किंग सलमान, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की ट्रम्प से खूब जमी, क्योंकि वे उपलब्धियों पर ट्रम्प की तारीफ करते हैं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत में कभी नहीं जीत पाए ट्रम्प: सूत्र
सूत्रों का दावा है कि पुतिन से बातचीत के दौरान ट्रम्प का अंदाज अलग होता है। क्योंकि पुतिन पश्चिम को तवज्जो ही नहीं देते। ऐसे में ट्रम्प को लगता है कि वो पुतिन के सामने खुद को कारोबारी और सख्त व्यक्ति के तौर पर पेश करेंगे तो पुतिन सम्मान करेंगे। पर ऐसा नहीं हुआ, पुतिन ने बातचीत में हर बार उन्हें मात दी।
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कोरोना से 50 गुना अधिक मारक महामारी फैली तो क्या होगा; संक्रमण कहीं कम तो कहीं ज्यादा क्यों, ऐसे कई सवालों के जवाब जरूरी: रेटक्लिफ
2019 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार पाने वाले डॉक्टर पीटर रैटक्लिफ नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी विशेषज्ञ) हैं। वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर व फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के क्लीनिकल रिसर्च डायरेक्टर हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे पर भास्कर के रितेश शुक्ल ने उनसे विशेष बातचीत की। उन्होंने कोरोना महामारी और भविष्य से जुड़े गंभीर सवालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ को खत्म नहीं किया जा सकता, उसे अपना तरीका बदलना होगा। इसके लिए राजनीति और नेताओं में सहमति जरूरी है। पढ़िए उनसे बातचीत के संपादित अंश...
जब मुझे नोबेल पुरस्कार मिला तो इतने कॉल आने लगे कि अचानक लगा कि मैं कोई महान आत्मा हूं। यहां तक कि मेरे बच्चों ने भी मुझे आदर भाव से देखा। हमारे इस पेशे की खास बात ये है कि मरीजों को देखने और रिसर्च में समय निकल जाता है। शरीर के कलपुर्जे क्यों अपना काम करने में सुस्त पड़ जाते हैं और कैसे इन्हें दोबारा चुस्त बना दिया जाए, यह यात्रा अपने आप में आनंददायक है। यही भावना एक डॉक्टर को डॉक्टर बनाती है। मौजूदा कोरोना का दौर यह बताता है कि हमें भविष्य में क्या होगा, इसकी तैयारी पहले से करनी होगी। इसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि इस दुनिया में उद्दंडता की हद तक प्रश्न पूछना फैशन के खिलाफ माना जाता है।
समाज में हर बात को मानना, कोई प्रश्न न उठाना फैशन है और इसीलिए अधिकतर लोग कोई खोज नहीं करते और योजनाएं पूरी न होने पर परेशान हो जाते हैं। समाज में हमें एक संतुलन चाहिए, दो किस्म के लोगों में। एक वो हैं जो मान्यताओं को तोड़ते हैं और असहनीय लेकिन उपयोगी प्रश्न उठाते हैं। दूसरे वो, जो फैशन से जुड़कर अपना जीवन बिताते हैं। दूसरा यह कि निर्णय लेने पर हम जरूरत से ज्यादा जोर देते हैं, पर निर्णय लेने के बाद क्या करना है, उस पर ध्यान नहीं देते। ये बात मैं इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि हम जो निर्णय लेते हैं, जो योजनाएं बनाते हैं, जरूरी नहीं कि वो पूरी हों।
मसलन, पुरस्कार की घोषणा के बाद मेरे 300 कार्यक्रम तय हो गए। लेकिन अचानक कोरोना के चलते ये सभी टल गए। अब कोरोना काल में प्रश्न ये है कि भविष्य में अगर इससे बड़ी महामारी आई, जिसमें मृत्युदर कोरोना से 50 गुना ज्यादा हो, तो क्या किया जाएगा? क्यों भारत में कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्युदर कम है, लेकिन इटली या स्पेन में अधिक है।
वैक्सीन कब बनेगी?
इन प्रश्नों के उत्तर इस पर निर्भर करते हैं कि मानव शरीर पर कितने परीक्षण हो रहे हैं। हमें ये नहीं पता है कि ये बीमारी सीधे खून पर असर करती है या किसी रिएक्टिव माध्यम से खून में पहुंचती है। जब तक इस बात का पता नहीं चलेगा तब तक विश्वसनीय वैक्सीन या दवा बनाने में दिक्कतें आएंगी। कोरोना के केस में मेरा मानना है कि हाइपोक्सिया पर स्टडी तेज करने की जरूरत है। हाइपोक्सिया वह परिस्थिति होती है, जब जरूरत जितना ऑक्सीजन शरीर के टिश्यूज तक नहीं पहुंच पाता। इससे वेंटिलेटर की जरूरत कम की जा सकती है।
मेरे हिसाब से एल्मिट्रीन दवा, जिसे एक फ्रेंच कंपनी बनाती है, उसका ट्रायल शुरू करना चाहिए। यह फेफड़ों की बीमारी की दवा है लेकिन इसका इस्तेमाल रोक दिया गया। ट्रायल से कोविड मामलों में इसकी उपयोगिता का पता लगाया जा सकता है। अंतत: परीक्षण के बिना ऐसे सवालों का उत्तर नहीं मिल सकता। चिकित्सा समुदाय, मेडिकल टेक्नोलॉजी को सारा ध्यान इनका उत्तर ढूंढने में लगा देना चाहिए।
ऑफिसों में कार्यप्रणाली क्या होगी?
अगर महामारी का खतरा बना हुआ है तो फिर ऑफिसों में कार्यप्रणाली क्या होगी? ऐसे ही बिल्डिंग डिजाइन, फायर रेगुलेशन इत्यादि जैसे विषयों पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में महामारी के दौरान जान-माल को बचाया जा सके। आज वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन जैसे वैश्विक संस्थानों पर भी कोरोना काल में आरोप लगने लगे हैं।
मैं ये नहीं कहूंगा कि अब डब्ल्यूएचओ की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके काम करने के तरीके में बदलाव की आवश्यकता है। राजनीतिक निर्णयों में सामंजस्य नहीं है। राजनीति अपने हितों को ध्यान में रखकर निर्णय करती आई है, जबकि कोरोना महामारी ने साफ कर दिया है कि अब राजनीतिक निर्णय दुनियाभर के लोगों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
केमिस्ट्री पढ़ना था, शिक्षक बोले- मेडिसिन पढ़ो
जब मैं कॉलेज में दाखिला ले रहा था, तो केमेस्ट्री लेना चाहता था। लेकिन मेरे हेड मास्टर के कहने पर मेडिसिन ली। न उन्होंने कुछ समझाने की कोशिश की और न ही मैंने कोई सवाल किए। मैंने उनके कहने पर चुना और आज मुझे अपना काम बहुत पसंद है। मुझे लगता है कि ये निर्णय करना ज्यादा जरूरी है कि आप क्यों कुछ करना चाहते हैं, तब आप यह तय कर पाएंगे कि आप क्या करना चाहते हैं।
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J-K: त्राल में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, 2- 3 की संख्या में छिपे हैं दहशतगर्द
Monday, June 29, 2020
विशाखापत्तनम: दवा कंपनी में गैस लीक, 2 लोगों की मौत, इलाके में अफरा-तफरी
जिन यूजर्स के पास पहले से ही टिक टॉक मौजूद, क्या वो इसे यूज कर पाएंगे?
बैन के बावजूद अब तक पर क्यों दिख रहे हैं ये चाइनीज ऐप्स?
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खाने की थाली तक चीन, दिल्ली में बिकने वाला 50 फीसदी राजमा चायनीज
रणबीर संग इस फिल्म में काम कर चुकी है सुशांत की आखिरी फिल्म की एक्ट्रेस
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बोर्ड पर लिखा- अपराध, मगर बिहार में अल्ट्रासाउंड से बेटी देखकर 8000 रुपए में ही ले रहे हैं हत्या की ‘सुपारी’
दुनिया के दो बड़े देश दोबारा संकट मेंः चीन में 5 लाख लोगों पर वुहान सी सख्ती; अमेरिका में अनलॉक दो हफ्तों में ही फेल
चीन में कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने सरकार की नींद उड़ा दी है। कोरोना के लगातार आ रहे संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रशासन ने कई सख्त उपाय किए हैं। बीजिंग से 150 किमी दूर हुबेई प्रांत में वुहान जैसी सख्ती की गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह लॉकडाउन एनशिन में लगाया गया है। इससे करीब 5 लाख लोग प्रभावित होंगे। पिछले 24 घंटों में बीजिंग में कोरोना के 14 नए मरीज मिले हैं। जून मध्य से एक फूड मार्केट के कारण मरीज बढ़कर 311 हो गए हैं।
एनशिन की घेराबंदी के बाद प्रशासन ने कहा कि यहां घर से निकलने तक पर पाबंदी होगी। घर का सामान लाने के लिए दिन भर में सिर्फ एक शख्स, एक ही बार बाहर जा सकेगा। किसी भी बाहरी को किसी बिल्डिंग, किसी समुदाय और किसी गाँव में जाने की अनुमति नहीं होगी।
नए मामलों में से एक तिहाई मामलों को मार्केट से बीफ और मटन सेक्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। वहां काम करने वाले लोगों को एक महीने के लिए क्वारैंटाइन किया जा रहा है। एनशिन काउंटी से शिंफदी बाजार में ताजे पानी की मछलियां सप्लाई की जाती हैं।
उधर, बीजिंग में स्कूलों को फिर से बंद कर दिया गया है। कई स्थानों पर लॉकडाउन है। बीजिंग से बाहर जाने वाले व्यक्ति को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देनी होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीन में 83,512 लोग संक्रमित हैं।
अमेरिका में दो हफ्ते में दोगुनी हुई पॉजिटिव मरीज बढ़ने की दर, 65% संक्रमित बढ़ गए
अमेरिका के कई राज्यों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। लॉज एंजेलिस काउंटी में पॉजिटिव बढ़ने की दर 9% पर पहुंच गई है, जबकि दो हफ्ते पहले यह 5.8% थी। टेक्सास में यह दर 13% है। इससे दो हफ्ते पहले 7% थी। एरिजोना में मई के बाद तेजी से मामले बढ़े हैं। दर औसत 20% रही है। जॉन थॉमस हॉपकिंस ब्लूमबर्ग सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में कोरोना केे मामलों में 65% की बढ़ोतरी हुई है।
रेस्तरां में बैठकर खाने से संक्रमण का खतरा बढ़ा
राज्यों ने अनलॉक के पहले चरण में रेस्तरां, बार और पब खोलने की छूट दी थी। यह संक्रमण बढ़ने की एक बड़ी वजह है। कई राज्यों के अधिकारियों ने इस संबंध में चेतावनी दी है। मिशिगन के हार्पर रेस्तरां और ईस्ट लैंसिंग के ब्रुअप से 70 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। अलास्का के रेस्तरां में पॉजिटिव मिलने के बाद सैकड़ों लोगों की टेस्टिंग हुई है। कंसास में एक सैलून और बार से कोरोना फैला है। लॉस एंजेलिस में भी नाइटक्लब से 100 से ज्यादा लोग चपेट में आए हैं।
कैलिफोर्निया, टेक्सास, फ्लोरिडा में दोबारा सख्ती
मरीज बढ़ने के बाद कैलिफोर्निया की 8 काउंटी में कारोबारी गतिविधि पर रोक लगा दी गई है, वहीं 7 काउंटी में अनलॉक रोक दिया गया है। टेक्सास में भी रेस्तरां-बार बंद करने पड़े हैं। फ्लोरिडा में युवा बड़ी संख्या में चपेट में आ रहे हैं, इसे देखते हुए बीच बंद किए गए हैं। अब राज्यों के प्रशासन को चिंता फ्रीडम डे वीकेंड की है। 4 जुलाई को अमेरिकी स्वाधीनता दिवस पर जश्न मनता है, इस मौके पर लोगों को रोकना बड़ी चुनौती होगी।
समृद्ध देशों में अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित
कोरोना से दुनिया के सभी देश परेशान हैं पर समृद्ध देशों की बात करें तो सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर पड़ा है। बाकी देशों में अनलॉक के बाद मरीज मामूली बढ़े हैं। पर अमेरिका में ऐसा नहीं है। ट्रम्प समेत कई राज्यों के गवर्नरों ने चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए संक्रमित 26 लाख से ज्यादा हो चुके हैं।
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