(यिदान लिन )चीन कोरोना महामारी के सबसे कठिन दौर से गुजर चुका है। कोरोना के मामले और इससे मौतें कम हो रही हैं। लोगों का ध्यान अब दो बातों पर ज्यादा है। पहला- ठीक हुए लोगों की स्थिति जानना। दूसरा- पुराना दौर नहीं लौटे इसलिए उचित उपायों पर अमल। अब तक इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि चीन में कोरोना पूरी तरह ठीक हो सका है या नहीं।
वुहान में अब 14 प्लस 14 मैनेजमेंट का पालन किया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि ठीक होने वाले मरीज पहले मेडिकल सेंटर में 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन किए जाते हैं। इतने समय के बाद अगर उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्हें घर में 14 दिन के लिए अलग रखा जाता है। चीन की स्टेट काउंसिल ने इसकी पुष्टि की है।
कोरोना से ठीक हुआ युवक, पर फेफड़े कमजोर हुए
वुहान निवासी 25 साल के एक युवक ने कहा कि वह अब कोरोना से ठीक हो चुका है, लेकिन उसके फेफड़े कमजोर हो गए हैं। इन्हें मजबूत होने में लंबा समय लगेगा। युवक जनवरी के आखिरी में कोरोना पॉजिटिव हुआ था। वह फरवरी में ठीक हुआ। उसने कहा, ‘दोबारा संक्रमित होने का खतरा बना ही रहेगा। मैंने न्यूक्लिक एसिड टेस्ट एक से ज्यादा बार किए हैं। कहीं इसका भी नुकसान न हो जाए। डॉक्टरों ने मुझे फेफड़े की बीमारी के लिए दी जाने वाली रुटीन दवाएं दी हैं। अस्पताल से छुट्टी के बाद मैं 14 दिन तक घर में क्वारैंटाइन रहा।’
चीन के 10 शहरों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट हो रहे
शंघाई, बीजिंग, नानजिंग समेत 10 शहरों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट किए जा रहे हैं। शंघाई से इसकी शुरुआत हुई। यहां यह अनिवार्य कर दिया गया है। शंघाई स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक, इसमें गले के स्वाब के सैंपल लिए जाते हैं। महज 24 घंटे में इस टेस्ट के नतीजे आते हैं। इस टेस्ट से वायरस के आरएनए का पता लगाते हैं। आमतौर पर सैंपल सांस के रास्ते से इकट्ठा किया जाता है। इसमें लार का मिश्रण होता है। वुहान में कोरोना की रोकथाम के लिए पारंपरिक पद्धतियों का भी इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने मान्यता नहीं दी हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने ठीक हुए मरीजों के लिए गाइडलाइन जारी की हैं।
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