अमेरिकी खुफिया एजेंसी नेशनल काउंटर इंटेलीजेंस एंड सिक्याेरिटी सेंटर के निदेशक विलियम इवानिया ने चेतावनी दी है कि रूस, चीन और ईरान नवंबर में हाेने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया काे प्रभावित करने की फिराक में हैं। वे उम्मीदवाराें और उनके राजनीतिक अभियानाें की उन गाेपनीय सूचनाओं काे लीक कर सकते हैं जाे उनकाे फायदा पहुंचाए।
एजेंसी के अफसर चुनाव प्रबंधन से जुड़े केंद्र और राज्याें के सभी नेटवर्क में पहुंच हासिल करने की काेशिश में लगे हैकराें की निगरानी कर रहे हैं।
कोरोना के कारण इन देशों को मसाला मिला, जिससे वे अमेरिका में दुष्प्रचार कर सकें
इवानिया के मुताबिक रूस, चीन और ईरान जैसे देशाें की एजेंसियां अमेरिकी मतदाताओं की पसंद और नजरिये काे प्रभावित करने के लिए परंपरगत समाचार माध्यमाें के साथ ही साेशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। काेराेना महामारी और हाल ही में अश्वेताें के विद्राेह ने इन देशाें काे उनके मकसद के लिए बहुत मसाला दे दिया जिससे कि वे अमेरिका में दुष्प्रचार कर सकें।
अमेरिकी नीतियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटा चीन
इंटेलीजेंस अधिकारी ने कहा कि चीन की काेशिश है कि अमेरिकी नीतियाें काे अपने पक्ष में प्रभावित कर सके। वह ऐसे नेताओं जिन्हें अपने हिताें के खिलाफ मानता है, उन पर दबाव डालने के प्रयास भी बढ़ा रहा है। वहीं रूस का मकसद अमेरिका और दुनिया में उसके दबदबे काे कमजाेर करना है। रूस इंटरनेट ट्राेल और पीछे के दरवाजाें से अमेरिका में झूठ काे फैलाने में जुटा है जिससे कि लाेकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास कमजाेर पड़े।
ईरान भी इंटरनेट पर अमेरिका विरोधी कंटेंट फैला रहा है
ईरान भी साेशल मीडिया में दुष्प्रचार कर रहा है और अमेरिका विराेधी कंटेंट फैला रहा है। इवानिया ने अमेरिका के नागरिकाें काे सूचनाओं काे आलाेचनात्मक नजरिये से देखने, कहीं से मिले किसी कंटेट काे साेशल मीडिया पर दाेबारा पाेस्ट करने से पहले उसके स्राेत की जांच करने और साइबर स्वच्छता बनाने की अपील की है।
साथ ही इंटेलीजेंस अफसराें ने राष्ट्रपति उम्मीदवाराें के चुनाव अभियान संचालित करने वाले अधिकारियाें, नेताओं, राजनीतिक समितियाें और संसद काे चुनाव सुरक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दे दी है।
पिछले चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के आराेप
2016 के अमेरिकी चुनाव में रूस पर दखलंदाजी के आराेप लगे थे। ऐसा कहा गया था कि उसने ऐसे ई-मेल लीक किए जिनसे डेमाेक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन काे नुकसान हाे। रूस की इंटरनेट रिसर्च एजेंसी ने उन चुनावाें के पहले राजनीतिक माहाैल में मतभेद पैदा करने की कोशिश की थी।
-ब्लूमबर्ग से विशेष अनुबंध के तहत
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