दुबई (डॉ. सुभाष अत्रे) .पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में है। दुबई भी अछूता नहीं। लेकिन यहां हालात नियंत्रित हैं। 28 जनवरी से अब तक 468 मरीज मिल चुके हैं। 55 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि दो की मौत हो गई। सैलानियों से गुलजार रहने वाला दुबई 26 मार्च से 3 दिन के लॉकडाउन में सुनसान है। सड़कें वीरान हैं। मॉल बंद हैं। लेकिन होटल, रेस्त्रां, फूड जाॅइंट्स खुले हैं। कैरेफोर, लुलू हाइपर मार्केट जैसे डिपार्टमेंटल स्टोर्स में रोजमर्रा की जरूरत के सामान की भरमार है। दूध-सब्जी की कोई कमी नहीं। होम डिलीवरी भी जारी है। रसाेई गैस और पानी की बोतलें फोन कर मंगवाई जा सकती हैं। ‘पैनिक परचेज’ नहीं है। सरकार ने प्रतिबंधात्मक कदम धीरे-धीरे लागू किए हैं और लोग सहयोग कर रहे हैं।
हालांकि, यहां लाॅकडाउन के नियम काफी सख्त हैं। नियम तोड़ने पर 50 हजार दिरहम (करीब 10 लाख रुपए) तक जुर्माना लगाया जा रहा है। रात 8 से सुबह 6 बजे तक बाहर न निकलने का नियम भी सख्ती से लागू है। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बसों और मेट्रो में बैठने वालों की संख्या एक तिहाई तक कम कर दी गई, ताकि लोगों के बीच सुरक्षित दूरी रहे। जाहिर तौर पर पुलिस की सख्ती नहीं दिखती, लेकिन तीन से ज्यादा लोगों के साथ चलने पर तुरंत टोका जाता है। जरूरी काम के लिए भी कम से कम लोगों को निकलने काे कहा जाता है। सरकार ने दुबई में शुरू की गई सैनिटाइजेशन ड्राइव 4 अप्रैल तक बढ़ा दी है। शहर की सभी 17 हजार टैक्सियां सैनिटाइज की गई हैं। सैनिटाइजेशन के लिए ड्रोन से भी छिड़काव किया जा रहा है। सरकार जांच पर खास ध्यान दे रही है। हालांकि, व्यापारी वर्ग थोड़ा चितिंत है। प्रवासी कामगार भी निराश हैं। हालात नहीं बदले तो उन्हें ऐसे ही वापस जाना पड़ेगा। फिर भी दुबई निराश नहीं। सब मिलकर कोरोना पर जल्द जीत हासिल करना चाहते हैं।
सैनिटाइजेशन पर जोर, जगह-जगह डिस्पेंसर और टिश्यू पेपर लगे
मॉल, सुपर मार्केट, बैंक और अस्पताल जैसे हर सार्वजनिक स्थान पर सैनिटाइजेशन पर जोर है। हर जगह डिस्पेंसर और टिश्यू पेपर लगे हैं। सुपर मार्केट में ग्राहक के सामान लेने के बाद काउंटर पर सफाई के बाद दूसरे की बिलिंग शुरू हाेती है। बैंकों में करंसी और कागजात का लेनदेन ग्लव्स पहन लिफाफों में किया जा रहा है।
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