
चीन के वुहान शहर से जानलेवा काेविड-19 महामारी दुनियाभर में फैली। वहां लॉकडाउन भले खत्म हाे गया, लेकिन संक्रमण के दूसरे दौर में छह नए मामले सामने आने के बाद सरकार ने सभी 1.1 करोड़ निवासियाें का काेराेना टेस्ट बुधवार से शुरू कर दिया है। वुहान में अब तक संक्रमण के 50 हजार मामले सामने आचुके हैं और3,800 लाेगाें की माैत हाे चुकी है। टेस्ट का उद्देश्य बिना लक्षण वाले संक्रमितों की पहचान करना है।
स्थानीय प्रशासन ने टेस्टिंग प्रक्रिया काे ‘10-दिन की लड़ाई’ नाम दिया है। हालांकि, इस पर स्थानीय स्तर पर ही सवाल भी उठाए जा रहे हैं। हेल्थ डेली अखबार के मुताबिक, 10 दिन में सभी टेस्ट करने के लिए राेज करीब 7.30 लाख टेस्ट करने हाेंगे, जबकि एक दिन में अधिकतम 1 लाख टेस्ट किए जा सकते हैं।
'दक्षिण काेरिया मार्च में राेज 20 हजार टेस्ट ही कर पाया था'
तर्क दिया जा रहा है कि ज्यादा मामले सामने आने के बाद दक्षिण काेरिया मार्च में राेज 20 हजार टेस्ट ही कर पाया था। वुहान के डिप्टी मेयर ली क्वियांग ने भी पिछले महीने ही कहा था कि शहर में 53 स्थानाें पर राेज 46 हजार टेस्ट किए जा सकते हैं। ऐसे में 10 दिन में सभी लोगों की टेस्टिंग हो जाएगी, इस पर संशय है।
'वुहान में पहले चरण में 40 से 50 लाख लोगों की जांच हो चुकी है'
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वुहान में पहले चरण में 40 से 50 लाख लोगों की जांच हो चुकी है। वुहान यूनिवर्सिटी के डिप्टी डायरेक्टर यांग झान्की के मुताबिक, शेष 60 लाख लोगों की जांच संभव है। वुहान के मेयर द्वारा स्थापित हाॅटलाइन पर जवाब दिया जा रहा है कि सरकार ऐसे रेसिडेंशियल कंपाउंड काे प्राथमिकता दे रही है, जहां बुजुर्ग हाें, घनी आबादी हाे और पड़ाेस में ग्रामीण प्रवासी श्रमिक हाें।
'टेस्ट के 48 घंटे में रिजल्ट मिल जाएंगे'
पिछले हफ्ते टेस्ट करवा चुके लाेगाें और छह साल से कम उम्र के बच्चाें काे रियायत दी गई है। टेस्ट के 48 घंटे में रिजल्ट मिल जाएंगे। वहीं, साेशल मीडिया पर प्रसारित नाेटिस में लिखा था, ‘न्यूक्लिक एसिड टेस्ट करवाना आपकी, परिवार और समाज की जिम्मेदारी है। आप अपने नजदीकी सेंटर में टेस्टिंग स्लाॅट के लिए रजिस्ट्रेशन करवाएं।’
सरकार उठाएगी 1050 कराेड़ रु. का टेस्टिंग खर्च
सरकार ने टेस्टिंग की लागत काे मेडिकल इंश्याेरेंस स्कीम से जाेड़ दिया है। ऐसे में 1050 कराेड़ रुपए सरकार वहन करेगी। हालांकि, लाॅकडाउन खुलने के बावजूद घर में रहना पसंद कर रहे लाेगाें का कहना है कि कतार में लगने से उन्हें काेराेना हाेने का खतरा है। ऐपिडेमियाेलाॅजिस्ट वु जुन्यू का कहना है कि सभी के टेस्ट की जरूरत नहीं है।
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